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Sindhu vihar plot

Poem-4

 महसूस कर रहा हूं तुम्हें

एक ऐसे जहां में जहाँ  

सिवा तेरे आखिर कौन होगा


सुनी सड़क... फिर भी उस समंदर किनारे 

पड़ा पत्थर पर तेरे साथ घंटों बीता देना चाहता हूं

तू पास है... तो खामोशी से डर कैसा होगा


जाने कितनी देर यूं ही चल दूं साथ तेरे

कोई उफ्फ तक नहीं

तेरे साथ सफर का पता ही कहां चलेगा


महसूस कर रहा हूं तुम्हें

एक ऐसे जहां में जहाँ  

सिवा तेरे आखिर कौन होगा


सारी रात जाग कर गुजर जाएगी

बिना कोई पलक झपकाए

तुझे देखने का सुकून मुझे नींद में कहां मिलेगा


यूं ही पकड़े रहना हाथों को मेरे

उंगलियों को पहले ऐसे फिर ऐसे फिर ऐसे कर लिया करना

इस एहसास से ज्यादा खूबसूरत और क्या होगा


मेरा यूं तुम्हारे चरणों को छु लेना

सदा मुझे मदहोश कर देता है

अब इससे ज्यादा नशा मोहब्बत का और क्या होगा


तेरा यूं अपने हाथों से मुझे खिलाना

मेरी अनकही बातों को यूं समझ जाना

धड़कनों से इज़हार ले लेना

इससे ज्यादा मोहब्बत करने वाला कहां होगा


महसूस कर रहा हूं तुम्हें

एक ऐसे जहां में जहाँ  

सिवा तेरे आखिर कौन होगा…..

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