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Sindhu vihar plot

Poem-3

 हर सम्भव मैं उन कोशिशों में हूँ,

कि तुम्हारें लिए जी पाऊँ,

और कोशिशें कर रहा हूँ।

और तुम अपने किए वादें,

धीमें धीमें मस्तिष्क के 

उस भाग में दफनाते जा रहे हो

जहां वो वादें सो जाया करती है।

तुम अपनी कही बाते भूल रहे हो।

और मुझे अपना  तो कह दिए,

वो सारे अधिकार भी दे दिए जो मेरे हैं।

पर 4 साल गुजर चुके रिश्तें की तरह,

दरमियाँ हमारे फ़ासले से लगते हैं।

तुम प्यार बहुत करते हो शक नहीं,

पर अब जताना भूल गए।

तुम मुझे उन अंधेरों से दुबारा मिलाने लगे हो।

जहां से भागकर तुममें उजाला ढूंढते आया था।

तुम्हारा प्रतिउत्तर जब न मिले,

तो वो नज़रंदाज़ होने के भाव हावी हो जाते हैं।

और हृदय पूर्व की घटनाओं से मेल करने लगता है ।

तुम सुनो मुझे मत मिलने दो उन घटनाओं से।

अपने प्यार को इतना गाढ़ा कर दो।

कि जैसे अनगिनत लाल रक्त कणिकाओं से,

प्लाज़्मा का रंग भी लाल दिखता  है न।

मेरे दर्द पर तुम्हारें प्यार का ऐसा ही आवरण चढ़ा दो।

बस मुहब्बत की गुज़ारिश है तुमसे,

मुझसे मेरा इश्क़ मिला दो।

.......एहसास तुम्हारा,भाव तुम्हारे,

मुझतक हृदय से मेरे,

,.............मेरे धड़कन से मिला दो।

      मेरी ....

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