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Sindhu vihar plot

Poem-28

 भोर होते ही आंखें 

तुम्हारी प्रतीक्षा में,

सूर्य की रश्मियां भी 


रहती हैं प्रतीक्षा में,


दिन भर इन अश्रुपूरित 

आंखों में तुम्हारी प्रतीक्षा,

कभी फोन पर तुम्हारे 

आने की प्रतीक्षा

कभी तुम्हारे आने की 

आहट की प्रतीक्षा

शाम के झुरमुट में फिर ,

तुम्हें तलाशती मेरे 

मन की प्रतीक्षा

  

बहते हुए आंसुओं में,

 बस तुम्हारी ही प्रतीक्षा

मेरा दम तोड़ती सांसों को,

बस तुम्हारी ही प्रतीक्षा

सांझ के चांद की चांदनी,

को भी बस तुम्हारी ही प्रतीक्षा

चांद के नैनों की बारिश,

को भी बस तुम्हारी ही प्रतीक्षा


कभी तो खत्म होगी

 मेरी  यादों की प्रतीक्षा,

कभी द्वार की दस्तक से 

मेरी देहरी की खत्म होगी प्रतीक्षा

मेरा मन प्रफुल्लित होगा 

जहन आँशुओ से भीगेगा

बगिया भी होगी हरी 

भरी धरती पर उपवन सा होगा,


जब आंखों से खुशियां छलकेंगी

तब कुछ सूर्य रश्मियां खनकेंगी

वो पल कभी तो आएंगे


जब खत्म होंगी प्रतीक्षा की घड़ियां


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