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Sindhu vihar plot

Poem-25



*अहंकार की मुठ्ठी बांध कर कुछ भी*

*प्राप्त नहीं हो सकता*

*यदि कुछ प्राप्त करना ही हो*

*तो समर्पण की अंजली बनाकर ही*

*कुछ प्राप्त किया जा सकता है प्रसन्नता वह औषधि है*

*जो हर मर्ज को ठीक कर सकती है*

*सबसे खास बात यह है कि*

*वो मिलती भी अपने ही अन्दर है*

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