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Sindhu vihar plot

Peom-6

 तुम बिन तरसती बाहें,

और तुम बिन रोती मेरी निगाहें।

आकर देख ज़रा,मेरा हाल है क्या।

तुमने मुझे छोड़ने कहा जिस दिन से,

खुद को,

मेरी तड़पती धड़कनों का हाल है क्या।

तुम्हे छोड़ आया, जिस जगह,

वो रास्ता,वो छाँव थी कोई पेड़ की।

तुम थे जो खड़े,धूप न लगी कभी।

उफ़्फ़फ़,

तुम बिन जीना,कैसा जीना.........

आ देख ज़रा  मेरा हाल है क्या।

दिल हा दिल  चार खानों का,

रक्त वाहिनियाँ खींच रही,एक दूजे को,

और दर्द,रगों में दौड़ रहा,

न कोई औषधि,न कोई उपचार,

न मेरे दिल का कोई ठौर रहा।

अब अंत है न पीड़ा का,

खुद को समझाऊँ,

उफ़्फ़फ़............................

ये तन्हाई,और ये शाम,

तेरी यादें क्यों ले आई।

बेघर सा घर नहीं,

दिल की साँसों से हो गई लड़ाई,

ये करवटें रतजगे आँखों में नींद न आई,

रोती हैं, तेरे खयालों से,

26 जनवरी को जो तुमसे खुद को मिला आया।

अब खुद का खुद न रहा मैं,

मैं बन गया तेरा पगला ,तेरे प्रीत में,

पर मेरी पगली तुम जो बन न पाई।

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