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Sindhu vihar plot

Peom-2

 मै जानता हूं तुम मुझसे प्रेम नही करते 

मै ये भी जानता हूं कि हमारा मिलना असम्भव है

फिर भी

मेरे भीगे प्रार्थनाओं में झरने वाला हर फूल

तुम्हारी मंगल कामनाओं के लिए है


मै जानता हूं मुझसे तुम प्रेम नही करते फिर भी

इस भीड़ भरी दुनिया में जब भी खुद को नितान्त

अकेला महसूस करता हूं 

मेरी उदास आंखें तुम्हारी राह देखती है कि

शायद मेरी चुम्बकीय पुकार खींच लाये

तुमको मेरी दहलीज तक


मै जानता हूं तुम मुझसे प्रेम नही करते फिर भी

जब भी तुम्हारी यादों के मेघ छा जाते है

हृदय पपीहे की मानिंद पागल हो जाता है

तुम्हारे दर्शन की चाहत से मन ब्याकुल तो होता है

किन्तु  हठी मन को बूंद चाहिए स्वाति नक्षत्र की

तुम वही स्वाति नक्षत्र की बूंद हो पर मेरे लिए नहीं


मै जानता हूं कि तुम्हारे पवित्र व्यक्तित्व की छांव मेरे लिए नहीं है फिर भी

जीवन की तपती धूप में चलना चाहता हूं

कुछ दूर तुम्हारे साथ भीगते मौसम में

कुम्हारे बांह थामें

हरा कर देना चाहता हूं ये धरती अपने पीडा से


मै जानता हूं तुम मुझसे प्रेम नही करते फिर भी

तुम्हारी एक हंसी से प्रवाहमान कर देना चाहता हू 

संसार की तमाम नदियां

करना चाहता हूं तुम्हारे मौन का अनुवाद


मै जानता हूं तुम मुझसे प्रेम नही करते फिर भी

सुनना चाहते हैं मेरे कान तुम्हारे द्वारा कहे गये

मात्र दो शब्द कि --" कैसे हो " ??


____तुम्हारे प्रतिक्षा में  "......."

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