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Sindhu vihar plot

Peom 1

 द्वार खुला है 

जब मन करे 

आ जाना 

आओगे तो कुछ 

भेंट भी लेते आना 

एक ख़ुशियों का पिटारा 

कुछ भूली बिसरी यादें   

और दीदों में थोड़ी 

नींद ले आना 

द्वार खुला है …..


विरह की अग्नि जब 

बुझाए ना बुझे 

तब चले आना 

फूलों की सेज पर 

पड़ा मिलूँगा 

आँखों में लिए दीदार 

तेरा सजदा करूँगा  

द्वार खुला है ….


आँखें टिकी है 

चौखट पे 

कान चौकन्ने हैं 

आतुर हैं सुनने को 

तुम्हारे पदचाप 

द्वार खुला है…..


झुलस रहा हूँ मैं भी 

प्रेम के अग्निकुण्ड में 

जाने कब…प्रेम रस 

बरसाओगे तुम 

द्वार खुला है….

द्वार खुला है 

केवल तुम्हारे लिए 


यदि ना आए तुम 

तो रूठ जाऊँगा मैं 

कर दूँगा द्वार को बंद और 

सो जाऊँगा मैं 

द्वार खुला है …..

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